ISSN: 2277-260X 

International Journal of Higher Education and Research

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मेरे ताऊ जी: स्व निरंजन सिंह चौहान - अवनीश सिंह चौहान

niranjan-singh-chauhanपरम श्रद्धेय ताऊ जी - स्व निरंजन सिंह चौहान जी मुझे सदैव ऊर्जा प्रदान करते रहे। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। बस उनकी यादें शेष हैं। मैंने अपनी यह पुस्तक परम श्रद्धेय ताऊ जी को समर्पित की है। ताऊ जी की युवावस्था की एक फोटो भी यहाँ प्रस्तुत है। यह फोटो उस समय की है जब ताऊ जी भारतीय थल सेना में कार्यरत थे।

अपनी धुन में मस्त ताऊ जी आला किस्म के इंसान थे। गांव में लोग उन्हें कलट्टर सिंह भी कहा करते थे। सेना से रिटायर होने के बाद भी ताऊ जी की जीवनचर्या फौजियों वाली ही रही। सुबह चार बजे जागना, बेड टी और फिर घर-खेत का काम-धाम। उन्होंने जीते-जी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। यद्यपि ताऊ जी का सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय रहा, उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी। ताऊ जी मेरे पिताजी को बहुत स्नेह करते थे। प्यार से वे उन्हें 'लला' कहते थे और पिताजी उन्हें 'बड़े लला' कहा करते थे। आज भी उनके दवरा कही गयी कई बातें जेहन में आते ही मन को भिंगो जाती हैं। उनकी पावन स्मृतियों को शत-शत नमन।


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