ISSN 2277 260X   

 

International Journal of

Higher Education and Research

 

 

 

Blog archive
पुनर्पाठ : शचीन्द्र भटनागर के पाँच नवगीत — अवनीश सिंह चौहान

shachindra-bhatnagarमुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री शचीन्द्र भटनागर जी हिंदी के ऐसे समर्थ साहित्यकार हैं जिनका अब तक समुचित मूल्यांकन नहीं हुआ। इसका प्रमुख कारण उनकी स्वयं की उदासीनता और आलोचकों की उनके साहित्य के प्रति अनिभिज्ञता भी हो सकता है। जो भी कारण रहा हो, किन्तु इतना तो अवश्य ही कहा जा सकता है कि अखण्ड ज्योति, जिसकी लगभग एक लाख प्रतियाँ गायत्रीपीठ-शांतिकुंज (हरिद्वार) से प्रति माह छपती हैं, में नियमित प्रकाशित होने वाले इस यशस्वी कवि का साहित्य जहाँ अपने आप में विशिष्ट है, वहीं हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि भी है। समाज, संस्कृति और अध्यात्म के प्रति गहरे लगाव से रचे गए उनके गीत, नवगीत, ग़ज़ल, महाकाव्य, मुक्तक, निबंध, आलेख आदि जीवन को समग्रता से देखने के लिए प्रेरित करते हैं। पूर्वाभास में प्रकाशित उनके ये पाँच नवगीत आस्था एवं विश्वास के नाम पर आडम्बरपूर्ण, मिथ्याचारी एवं कुकर्मी लोगों के चाल-चलन पर बड़ी सावधानी एवं सजगता से कटाक्ष तो करते ही हैं, भावकों को भारतीय अध्यात्म एवं दर्शन का वास्तविक ज्ञान भी कराते हैं।

 

श्री शचीन्द्र भटनागर जी उर्फ़ महेन्द्र् मोहन भटनागर का जन्म 28 सितम्बर 1935 ई. को फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। प्रकाशित साहित्य : खंड-खंड चाँदनी (गीत-नवगीत संग्रह 1973), क्रान्ति के स्वर (गीत संग्रह 1999), करिष्ये वचनं तव (गीत संग्रह 2003, पुनर्मुद्रण 2011), हिरना लौट चलें (नवगीत संग्रह 2003), तिराहे पर (ग़ज़ल संग्रह 2006), ढाई आखर प्रेम के (गीत-नवगीत संग्रह 2007, पुनर्मुद्रण 2010), अखण्डित अस्मिता (मुक्तक संग्रह 2008, पुनर्मुद्रण 2010), प्रज्ञावतार लीलामृत (महाकाव्य 2011— 12 सर्गों में पूर्वार्द्ध खण्ड), कुछ भी सहज नहीं (नवगीत संग्रह, 2015; निराला पुरस्कार, उ. प्र. हिंदी संस्थान), त्रिवर्णी (गीत-नवगीत संग्रह, 2015), युवाओं के गीत (गीत संग्रह, 2017), इदं न मम (गीत संग्रह, 2017) आदि। गायत्री प्रज्ञा पीठ के संस्थापक पूज्य संत पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के जीवन-चरित्र पर 'प्रज्ञावतार लीलामृत' (12 सर्गों में महाकाव्य) के उत्तरार्द्ध खण्ड का सृजन आप कर रहे हैं, जिसका भव्य लोकार्पण 2020 में होना निर्धारित है।

 

पुरस्कार/ सम्मान : वर्ष 1963 में कादम्बिनी पत्रिका द्वारा कादंबिनी गीत पुरस्कार, वर्ष 1988 में अखिल भारतीय व्रजसाहित्य संगम, आगरा द्वारा व्रज विभूति की उपाधि, वर्ष 1988 में हिंदी प्रकाश मंच संभल द्वारा काव्य मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत, वर्ष 1998 में अमृत महोत्सव भिंड, मध्य प्रदेश में आचार्य श्रीराम शर्मा शक्तिपीठ पुरस्कार, वर्ष 2006 में हिंदी साहित्य संगम, मुरादाबाद द्वारा महाकवि दुर्गादत्त त्रिपाठी जन्मशताब्दी साहित्य सम्मान, वर्ष 2009 में आर्य समाज मुरादाबाद द्वारा आर्य भूषण सम्मान, वर्ष 2010 में साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था परमार्थ द्वारा साहित्य एवं कला विभूति की मानद उपाधि प्रदत्त, वर्ष 2010 में स्व. राजेश दीक्षित स्मृति साहित्य सम्मान, वर्ष 2011 में विप्रा-कला साहित्य मंच द्वारा साहित्यार्जुन सम्मान, वर्ष 2012 में अखिल भारतीय साहित्य कला मंच द्वारा मंदाकिनी साहित्य सेवा सम्मान, वर्ष 2012 में सरस्वती परिवार मुरादाबाद द्वारा काव्य सिंधु उपाधि, वर्ष 2013 में तूलिका साहित्यिक संस्था, एटा द्वारा साहित्यश्री उपाधि, वर्ष 2014 में अखिल विश्व गायत्री परिवार मुख्यालय शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा युग साहित्य-सृजन सम्मान से विभूषित, वर्ष 2017 में उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'कुछ भी सहज नहीं' (नवगीत संग्रह, 2015) पर निराला पुरस्कार आदि।

 

अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ : (क) अनुवाद : अनेकानेक गीतों का तमिल, तेलुगु, मलयालम, बांगला, गुजराती, मराठी, ओडिया, पंजाबी तथा अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है। (ख) शोधपरक ग्रंथ : 1. भक्तिगीत परम्परा और शचीन्द्र भटनागर के भक्ति गीत - संपादक डॉ. नंदकिशोर राय, लखनऊ। 2. शचीन्द्र भटनागर:व्यक्तित्व एवं कृतित्व-डॉ. कंचनलता, बरेली। 3. शचीन्द्र भटनागर के काव्य की अंतर्यात्रा- डॉ. सुनीता सक्सेना, एटा। 4. उत्तरोत्तर- अमृत वर्ष पर प्रकाशित समीक्षात्मक ग्रंथ- संपादक डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल, बिजनौर। संपर्क : शचीन्द्र भटनागर, द्वारा श्री अतुल भटनागर, B-32, गौड़ ग्रेशियस, कांठ रोड, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश), पिन संख्या- 244001; शचीन्द्र भटनागर, 13, जनक भवन, शांतिकुंज, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) - 249411, मोबाइल-8057192199 
....... 
पूर्वाभास में नवगीत पढ़ने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें : http://www.poorvabhas.in/2014/08/blog-post_31.html


सुविख्यात साहित्यकार परम आदरणीय श्री शचींद्र भटनागर जी (मुरादाबाद) का एक गीत- 'उनको नमन हमारा' गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार द्वारा रिलीज किया गया है। कोरोना योद्धाओं को नमन करता हुआ यह प्रभावशाली एवं प्रेरणादायक गीत हृदय को छू लेने वाला है। इसे अब तक डेढ़ हजार से अधिक श्रोताओं द्वारा देखा-सुना और सराहा जा चुका है। इस हेतु श्री भटनागर जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

 

Listen here:https://www.youtube.com/watch?v=OQ1pskFS5QY


 

3503 Views
Comments
()
Add new commentAdd new reply
I agree that my information may be stored and processed.*
Cancel
Send reply
Send comment
Load more
International Journal of Higher Education and Research [-cartcount]