ISSN 2277 260X
International Journal of
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- टुकड़ा कागज़ का : लघुता में विराटता - वीरेंद्र आस्तिक
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- Speeches of Swami Vivekananda and Subhash Chandra Bose: A Comparative Study by Abnish Singh Chauhan
- William Shakespeare: King Lear by Abnish Singh Chauhan
- The Fictional World of Arun Joshi: Paradigm Shift in Values by Abnish Singh Chauhan
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- Buddhinath Mishra Ki Rachnadharmita - Abnish Singh Chauhan
- बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता - अवनीश सिंह चौहान
- B S G Anurag's BURNS WITHIN - Abnish Singh Chauhan
- Tukda Kagaz Ka - Abnish Singh Chauhan
- टुकड़ा कागज़ का - अवनीश सिंह चौहान
- Vedic Vadmaya Mein Vigyan Aur Prodhyogiki - Priyanka Chauhan
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Thursday, 12. April 2018 - 15:01 Uhr
समकालीन गीत की भाषा - नचिकेता
वर्ष 1990 के बाद के गीतों ने समकालीन गीत रचना को एक नयी भाषा दी है जो पूर्ववर्ती गीत परम्परा से भिन्न है। वीरेंद्र आस्तिक, यश मालवीय, अवनीश सिंह चौहान आदि ने उपभोक्तावादी जिंसों तथा कम्प्यूटर के उपयोग में लाये जाने वाले तकनीकी शब्दों को इन गीतों के बिम्ब और प्रतीक के रूप में इस्तेमाल कर गीत-रचना की काव्य भाषा को अत्यधिक आधुनिक और समृद्ध बनाया है।
- नचिकेता, वरिष्ठ कवि एवं आलोचक, पटना, बिहार
गीत वसुधा, पृष्ठ 51, 2013
Tags: Hindi Literature Dr Abnish Singh Chauhan Abnish Singh Chauhan Hindi Lyrics
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Tuesday, 10. April 2018 - 11:48 Uhr
अवनीश सिंह चौहान के एसोसियट प्रोफेसर न बनने पर खेद - डॉ पूर्णमल गौड़
डॉ अवनीश सिंह चौहान को डॉ पूर्णमल गौड़ की चिठ्ठी

आप जैसे योग्य, सुशिक्षित, अनुभवी, उत्कृष्ट लेखक, शोधकर्मी, आदर्श शिक्षक, विश्वविद्यालय के गौरव को बढाने में सदैव तत्पर, बेहद ईमानदार, छात्र हितैषी, बहुआयामी व्यक्तित्व, राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनारों में सहभागिता व अध्यक्षता करने वाले प्राध्यापक को पदोन्नत कर एसोसियट प्रोफेसर बहुत पहले बना देना चाहिए था; अब तक नहीं बनाये जाने के लिए खेद है। मेरी अनन्त मंगल कामनाएं।
Tags: SRM University Literature Festival, Authors, Media, Cinema, Actors Dr Abnish Singh Chauhan Abnish Singh Chauhan Dr Abnish Singh SRM University, Delhi-NCR, Sonepat, Haryana
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Wednesday, 28. March 2018 - 12:26 Uhr
जो करना है अभी करना है - डॉ अवनीश सिंह चौहान

कवि : प्रमोद प्रखर
प्रकाशक : एकलव्य पब्लिकेशन, रायबरेली, उ.प्र.
94 55 540892, 7860966625
मूल्य : रु 150/-
वर्ष : 2016
Tags: Abnish Singh Chauhan Dr Abnish Singh Dr Abnish Singh Chauhan Hindi Literature Literature Festival, Authors, Media, Cinema, Actors author Criticism Critic
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Wednesday, 28. March 2018 - 12:21 Uhr
यादों के बहाने: मैं, आखाड़ा और मौसा जी - अवनीश सिंह चौहान
सेना में ब्लैक कमांडो रहे परम श्रद्देय श्री अमरेश सिंह चौहान सूबेदार पद से रिटायर होने के बाद अब गांव मछरिया, जनपद मुरादाबाद, उ प्र में रहते हैं। उम्र लगभग 65 वर्ष। सिद्धांतप्रिय, ईमानदार, कड़क मिजाज फौजी अमरेश सिंह जी रिश्ते में तो मेरे सबसे छोटे मौसा जी हैं, किन्तु उनका परिचय सिर्फ इतना ही नहीं है।
बात कुछ इस तरह से है। मेरे गृह जनपद में उन दिनों अंग्रेजी से एम ए करने के लिए कोई महाविद्यालय न था। परिस्थितियां भी प्रतिकूल थीं। मौसा जी ने मुझे मुरादाबाद बुला लिया और मेरा दाखिला हिन्दू कॉलेज, मुरादाबाद में करा दिया। मैं मौसा जी के घर पर रहने लगा। संयुक्त परिवार था उनका । दादा-दादी जी, ताऊ-ताई जी, भैया-भाभीजी, बच्चे-बड़े सब एक साथ रहते । हिल-मिलकर, बड़े प्यार से। घर के सभी सदस्य मुझे भी बहुत चाहते, स्नेह देते।
मौसा जी और उनके परम सनेही मित्र पहलवान अंगद सिंह, जिन्होंने उस क्षेत्र में पहलवानी का अलख जगा रखा है और अब उनके सुपुत्र सुमित प्रताप सिंह उनकी विरासत को (सेना में बतौर पहलवान) आगे बढ़ा रहे हैं, कभी मुरादाबाद के हाथी अखाड़ा में जोड़ किया करते थे। घर-परिवार के बच्चों पर भी उनका असर था ही। जब मैं मुरादाबाद पहुंचा तो उन्होंने मेरे ढ़ीले-ढाले शरीर को देखकर कहा कि तुम्हे परिवार के बच्चों के साथ अखाड़ा करना चाहिए। फिर क्या था अगले ही दिन मेरा लगोंट सिलवाकर उन्होंने मुझे ट्रैनिंग देना प्रारम्भ कर दिया। मौसा जी मेरे खाने-पीने का विशेष ध्यान रखते; शरीर थकने पर मालिश करते, मेरे साथ दौडने जाते, अखाड़ा करते, शाम को दूर नदी पर टहलने भी जाते। (मौसी जी भी दिन भर अलग-अलग तरह के पौष्टिक व्यंजन बनाने में लगी रहतीं क्योंकि मौसाजी खाने के बहुत शौकीन रहे)। यही क्रम छुट्टियों भर चलता और जब मौसा जी की छुट्टियां खत्म हो जाती, वे देश सेवा के लिए वापस अपनी यूनिट लौट जाते।
उनकी प्रेरणा और सत्प्रयासों से मछरिया में मुझे लम्बे अरसे तक अखाड़ा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। खूब कसरत करना और मन लगाकर पढ़ना। बस दो ही काम। कसरत ऐसी कि मैं 250 दंड और 250 बैठक तक लगाने लगा; और पढ़ाई भी ठीक-ठाक रही- 20 वर्ष की आयु में एम ए कर महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग से सेकेंड टॉपर बना। कालांतर में विवाह हुआ ; लेखन भी करने लगा तो कसरत-वसरत भी छूट गयी। लेकिन वह घर न छूटा, गांव न छूटा, माटी न छूटी, रिश्ता बना रहा। अटूट।
अब जब भी अपने दोंनो बेटों को गांव लेकर जाता हूँ, तब मौसा जी और पहलवान ताऊ जी बस यही पूछते, "क्यों अवनीश, बच्चे बड़े हो रहे है, इन्हें अखाड़े में डाला कि नहीं। बुद्धि के साथ तंदुरस्ती भी जरूरी है।" और जब मैं उस अखाड़े की माटी को प्रणाम करता हूं (जोकि अब खेत में तब्दील हो गयी है , क्योंकि वहां के पेड़ कट गए, कुआ पट गया और उनके बीच में अखाड़ा जुत गया), तब वह भी मुझसे कई सवाल पूछती है, जिनका मेरे पास कोई उत्तर नहीं होता!
- अवनीश सिंह चौहान
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Thursday, 9. November 2017 - 12:10 Uhr
A Signature Workshop by GOPTA
Honoured to have been invited to a signature workshop on 'How To Add 50000 Productive Hours To Your Life' organized by GOPTA at India International Center, New Delhi on Aug 20, 2017. The workshop was highly successful and profoundly memorable due to the captivating and motivational discourses of my dear friend Mr Sanjay Kumar Agarwal, the rising star of modern India. Thankful to Sanjay Ji, dear Prakhar, energetic Lalima and benign Sanjay Sharan Sir (IRS) for their wonderful company. - Abnish Singh Chauhan
Remarks:
Thanks, Abnish Sir. It was my pleasure and privilege to have your gracious presence in my workshop. All of the participants benefitted from your thoughts and lively stories from your vast reservoir of experience and learning. Hope to see you again, sir, in my next workshop titled, 'Success Unlimited- Unlock Your True Potential' at India International Center, New Delhi on Nov 19, 2017.
- Sanjay Kumar Agarwal, Chairman & CEO, GOPTA Success Pvt. Ltd.
Dear Dr Chauhan, congratulations for remarkable invitations from VIPs for active and contributive participation in excellent programs. There are a few persons like you who are invited for chairing university, state, national and international level conferences, workshops and seminars. Keep it up.
- Dr P M Gaur, Professor & Head, Department of Hindi, SRMU, Delhi-NCR, Sonepat
Tags: Workshop SRM University GOPTA Sanjay Kumar Agarwal Dr P M Gaur Dr Abnish Singh Chauhan Dr Abnish Singh Abnish Singh Chauhan
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