अवनीश सिंह चौहान का यह गीत रचना-प्रक्रिया को बड़ी साफगोई से उद्घाटित करता है :
कविता
हम जीते हैं
सीधा-सीधा
कविता काट-छाँट करती है
कहना सरल कि
जो हम जीते
वो लिखते हैं
कविता-जीवन
एक-दूसरे में
ढलते हैं
हम भूले
जिन खास क्षणों को
कविता याद उन्हें रखती है
कविता
याद कराती रहती है
वे सपने
बहुत चाहने पर जो
हो न सके
हैं अपने
पिछड़ गए हम
शायद - हमसे
कविता कुछ आगे चलती है।
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