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वीरेंद्र आस्तिक

veerend-astikसमकालीन हिंदी साहित्य के सुविख्यात रचनाकार श्रद्धेय वीरेंद्र आस्तिक जी की रचनाएँ किसी एक काल खंड तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें समयानुसार प्रवाह देखने को मिलता है. उनकी रचनाओं से गुजरने पर लगता है जैसे आज़ादी के बाद के भारत का इतिहास सामने रख दिया गया हो, साथ ही सुनाई पड़तीं हैं दिशाबोधी आहटें, जो उज्जवल भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करने की सामर्थ्य रखती हैं. इस दृष्टि से उनके गीत भारतीय आम जन और मन को बड़ी साफगोई से प्रतिबिंबित करते हैं, जिसमें नए-नए बिम्बों की झलक भी है और अपने ढंग की सार्थक व्यंजना भी, और यह व्यंजना जहां एक ओर लोकभाषा के सुन्दर शब्दों से अलंकृत है तो दूसरी ओर इसमें विदेशी भाषाओं के कुछ चिर-परिचित शब्द भी मिल जाते है. शब्दों का ऐसा विविध प्रयोग भावक को अतिरिक्त रस से भर देता है.

- अवनीश सिंह चौहान 

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