आज वैश्विक फलक पर 'कोविड-19' महामारी के कारण स्वास्थ्यगत समस्याओं के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक समस्याएँ भी बढ़ीं हैं। 'लॉक डाउन' के चलते वैश्विक-समुदाय 'सेल्फ-कन्फ़ाइनमेंट' के लिए मजबूर है, जिससे मेल-मिलाप, पर्व-उत्सव, काम-काज, लेन-देन-व्यापार आदि पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है। उद्योग-धंधे ठप्प हो गए हैं, करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए हैं, अर्थ-व्यवस्था चरमरा गयी है। ऐसे हताश समय में महामारी से जुड़ी चुनौतियों के सम्बन्ध में जन-गण की जानकारी और जागरूकता को बढ़ाने के लिए शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान की परम आवश्यकता है।
शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए 'अर्थ' अर्थात 'धन' चाहिए। केवल इनके ही लिए नहीं, अपितु जीवन के हर क्षेत्र के लिए 'अर्थ' की आवश्यकता होती है। 'अर्थ'— भौतिक युग में जीवन का मुख्य आधार है। 'अर्थ' को जानने-समझने, उपयोग, उत्पादन, विनिमय तथा वितरण करने के लिए 'अर्थशास्त्र' की रचना की गयी और ऐसे पाठ्यक्रम तैयार किये गए, जिससे मनुष्य को अर्थसंबंधी कार्यों का व्यवस्थित और सटीक ज्ञान हो सके। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम है— 'बैचलर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन' (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस)। इस त्रिवर्षीय कोर्स को कर लेने से छात्र में कराधान और वित्त सम्बन्धी स्किल्स का स्वाभाविक विकास तो होता ही है, वह 'अर्थ' और 'कर' सम्बन्धी मार्केट ट्रेंड्स और डेवलपमेंट्स से परिचित हो भावी मार्केट चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम भी हो जाता है।
प्रवेश-पात्रता
- 50% अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो।
- 12वीं किसी भी स्ट्रीम में हो सकती है।
प्रवेश-प्रक्रिया
बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) में प्रवेश (एडमिशन) दो प्रकार से हो सकता है— प्रथम प्रवेश परीक्षा (एंट्रेंस टेस्ट) के माध्यम से और द्वितीय सीधे प्रवेश (डाइरेक्ट एडमिशन) पाकर। आमतौर पर प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी, गणित, सामान्य ज्ञान, रीजनिंग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके आधार पर छात्र का मूल्यांकन कर शिक्षण संस्थान में उसका चयन किया जाता है। इस कोर्स को करने के लिए कहीं-कहीं पर 'डाइरेक्ट एडमिशन' का भी प्रावधान है।
बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) में प्रवेश (एडमिशन) दो प्रकार से हो सकता है— प्रथम प्रवेश परीक्षा (एंट्रेंस टेस्ट) के माध्यम से और द्वितीय सीधे प्रवेश (डाइरेक्ट एडमिशन) पाकर। आमतौर पर प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी, गणित, सामान्य ज्ञान, रीजनिंग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके आधार पर छात्र का मूल्यांकन कर शिक्षण संस्थान में उसका चयन किया जाता है। इस कोर्स को करने के लिए कहीं-कहीं पर 'डाइरेक्ट एडमिशन' का भी प्रावधान है।
शिक्षण संस्थान
इस प्रतियोगी समय में बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) की शिक्षा प्राप्त करने वाले के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों के तमाम दरवाजे खुले तो हैं, किन्तु भारत के बहुत ही कम संस्थानों में यह कोर्स उपलब्ध है। इसीलिये इन तमाम सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों में बीबीए (टैक्सेशन एण्ड एकाउंटिंग), बीबीए (टैक्सेशन), बीकॉम (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) जैसे पाठ्यक्रमों की डिग्री लेने वालों से ही काम चलाया जा रहा है, जबकि व्यावसायिक दृष्टि से जरूरत बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) कोर्स कर दक्षता से कार्य करने वालों की है। शायद इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर यह पाठ्यक्रम बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली (उत्तर प्रदेश) में उपलब्ध कराया गया है।
करियर विकल्प
वर्तमान में बैचलर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) ग्रेजुएट्स के लिए जॉब की कोई कमी नहीं है। इस कोर्स को सफलतापूर्वक कर लेने के बाद छात्र एक मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी कंपनियों में टैक्सेशन और फाइनेंस डिपार्टमेंट्स में जॉब प्राप्त कर सकते हैं। स्किल और टैलेंट के साथ अनुभव बढ़ने पर इस डिग्रीधारी छात्र को किसी कंपनी/ऑर्गेनाइज़ेशन में लीडरशिप पोजीशन भी प्राप्त हो सकती है। इसका अर्थ यह हुआ कि बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) करने के बाद छात्र के लिए टैक्सेशन, फाइनेंस, मैन्युफैक्चरिंग, एडवरटाइजिंग, मार्केटिंग, एविएशन, बैंकिंग, कंसल्टेंसी, एंटरटेनमेंट, साइंस, टेक्नोलॉजी, इंश्योरेंस, मीडिया, हेल्थ केयर जैसे तमाम सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में भरपूर अवसर उपलब्ध हैं।
अन्य विकल्प
अन्य विकल्प
बीबीए (टैक्सेशन एन्ड फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त करने के उपरांत छात्र के समक्ष कई कोर्सेज को करने के विकल्प भी होते हैं। वह अपनी रुचि, क्षमता और लक्ष्य के अनुसार पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर निम्नलिखित द्विवर्षीय कोर्सेज में से कोई एक कोर्स कर सकता है— एमबीए (मार्केटिंग, टैक्सेशन, फाइनेंस, एचआर या इंटरनेशनल ट्रेड में), पीजीडीएम, एमएमएस आदि।
एक बात यहाँ बड़ी महत्वपूर्ण है कि बीबीए (टैक्सेशन एण्ड फाइनेंस) करते समय छात्र को बिजिनेस स्किल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल्स, टैक्सेशन स्किल्स एवं फाइनेंस स्किल्स के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल्स, प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स और डिसीजन मेकिंग स्किल्स को अवश्य सीखना चाहिए, क्योंकि इन स्किल्स का ज्ञान होने से वह अपने कार्यक्षेत्र में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है और राष्ट्र-निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दे सकता है।
लेखक :
'वंदे ब्रज वसुंधरा' सूक्ति को आत्मसात कर जीवन जीने वाले वृन्दावनवासी साहित्यकार डॉ अवनीश सिंह चौहान बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली के मानविकी एवं पत्रकारिता महाविद्यालय में प्रोफेसर और प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
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