
1
अजाने रास्ते
चलते रहे पाँव
ज़िंदगी भर
2
जरूरी नहीं
जो पढ़ा है तुमने
पढ़ा सकोगे
3
जिनके घर
बने हुए शीशे के
लगाते पर्दे
4
तेरी-मेरी है
बस एक कहानी
राजा न रानी
5
प्रभु के लिए
छप्पन भोग बने
खाये पुजारी
6
बड़े दिनों से
मन है मिलने का
समय नहीं
7
घोंसले जले
आग से जंगल में
भागे परिंदे
8
आखिर फिर
फूल हुए शिकार
पतझड़ में
9
कहने को तो
सफर है सुहाना
थकते जाना
10
पहल हुई
महिला हो मुखिया
कागज़ पर
11
नदिया चली
तटों से गले मिल
पिया के घर
12
कैसा उसूल
पत्थरों के हवाले
मासूम फूल
13
अनंत यात्रा
जीवन, जगत की
ढेरों पड़ाव
14
जीव मात्र में
सुख की अभिलाषा
छटे कुहासा
15
नहीं सुनाती
अब एक भी लोरी
मइया मोरी
16
तीन काल हैं
कालातीत के लिए
वर्तमान ही
17
भोगी अधिक
योगी बहुत कम
कलयुग में
18
लेने का भाव
उससे कहीं बड़ा
देने का भाव
19
जड़-चेतन
सबके सब रूप
परमात्मा के
20
परम पद
सदभक्त को मिले
प्रभुकृपा से
21
निमित्त मान
करता जो साधना
पाये आनन्द
22
स्वतंत्र सत्ता
अहंकार की नहीं
कहीं पर भी
23
कृष्ण उवाच
युद्ध कभी हो, न हो
मृत्यु निश्चित
24
नहीं सुनाती
अब एक भी लोरी
मइया मोरी
25
प्रकाश-मुग्ध
पतंगे होते स्वाहा
सदा अग्नि में
26
घर-घर में
फैला रहे हैं डर
टीवी-चैनल
27
उल्लू के पठ्ठे
उल्लू नहीं होंगे तो
भला क्या होंगे
28
किसे पता है
नाचे कृष्ण-मुरारी
वृन्दावन में
29
लगे अधूरा
यह घर, संसार
मैया के बिना
30
घोंसले जले
आग से जंगल में
भागे परिंदे
31
प्रेमी युगल
अक्सर मुस्काते हैं
मन ही मन
32
प्रश्न यह है
कब तक जिएंगे
मर-मर के
33
अजब राग
अपने-अपने का
बजाते लोग
34
पण्डे कहते
खुद को प्रतिनिधि
भगवान का
35
दर्ज बही में
हम सब का खाता
होता भी है क्या ?
36
कितने कवि
लिख-लिख कविता
हुए पागल
37
पड़ी लकड़ी
जब भी है उठायी
आफ़त आयी
38
रास्ता दिखाते
जगमगाते तारे
रोड किनारे
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